लखनऊ
55 लाख 61 हजार लोगों के खातों में 1500-1500 रुपये भेजेगी यूपी सरकार
लखनऊ:
यूपी सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन देने की तैयारी कर ली है। पहली अक्तूबर को अन्तर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस के अवसर पर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित वृद्धावस्था पेंशन की दूसरी तिमाही की किस्त की राशि लाभार्थियों के बैंक खातों में आनलाइन हस्तांतरित की जाएगी। समाज कल्याण निदेशालय में आयोजित होने वाले एक संक्षिप्त कार्यक्रम में प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री कम्प्यूटर का बटन दबाकर 55 लाख 61 हजार लाभार्थी वृद्धजनों के बैंक खातों में यह राशि हस्तांतरित करेंगे।
प्रति माह 500 रुपये प्रति लाभार्थी की दर से 1500 रुपये की राशि हर लाभार्थी के खाते में भेजी जाएगी। उस दिन इस कार्यक्रम से पहले समाज कल्याण मंत्री सरोजनीनगर स्थित वृद्धाश्रम में जाकर वहां रह रहे वृद्धजनों को नए वस्त, फल आदि वितरित करेंगे और उनसे संवाद करेंगे। इसी तरह राज्य के हर जिले के वृद्धाश्रम में वहां रह रहे वृद्धजनों के लिए कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
उत्तर प्रदेश
पूर्वांचल विद्युत निगम में हजारों अस्थायी कर्मचारियों की नौकरी खतरे में, कर्मचारी संगठनों ने खोला मोर्चा
गोरखपुर स्थित पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में नई ठेकेदारी व्यवस्था लागू होने से तीन हजार से अधिक अनुबंध आधारित कर्मचारियों की छंटनी हो रही है। विद्युत कर्मी संगठनों ने इस फैसले के विरुद्ध जोरदार विरोध शुरू कर दिया है और मुख्यमंत्री से दखल देने की गुहार लगाई है।
गोरखपुर। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में नई टेंडर प्रक्रिया के चलते बड़ी संख्या में अनुबंध पर काम कर रहे बिजली कर्मचारियों को निकाला जा रहा है। इस निर्णय से कर्मचारियों में तीव्र असंतोष फैल गया है और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद की है।
नई व्यवस्था से हो रही बड़े स्तर पर छंटनी
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारी पुष्पेंद्र सिंह, जीवेश नंदन, जितेंद्र कुमार गुप्ता, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, ओम गुप्ता, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह और राकेश चौरसिया ने मीडिया को बताया कि निगम प्रशासन प्रतिदिन सैकड़ों संविदा आधारित कर्मचारियों को सेवा से हटा रहा है। इस वजह से कार्यालयों में काम का माहौल बिगड़ गया है और बचे हुए कर्मियों पर काम का दबाव कई गुना बढ़ गया है।
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एस्मा कानून लगाने पर जताया विरोध
कर्मचारी संगठनों ने अति आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) को लागू किए जाने की भी कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि बिजली विभाग में पिछले पच्चीस सालों से यह कानून चल रहा है, और अब इसे राज्य सरकार के कर्मचारियों, नगर निकाय तथा निगम कर्मियों पर भी थोपा जा रहा है। संगठनों ने इसे जनतांत्रिक मूल्यों और कर्मचारी अधिकारों पर प्रहार बताया है।
मुख्यमंत्री से की गई विशेष अपील
समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त करने की प्रक्रिया तुरंत रोकने का आग्रह किया है। कर्मचारी नेताओं ने याद दिलाया कि मई 2017 में जारी सरकारी आदेश में शहरी इलाकों के उपकेंद्रों में 36 और गांवों में 20 कर्मचारी तैनात करने का नियम था, परंतु नए ठेके में लगभग आधे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
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वर्टिकल पुनर्गठन योजना पर उठे सवाल
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि वर्टिकल पुनर्संरचना योजना की असफलता के बावजूद निगम प्रबंधन इसे दूसरे शहरों में भी लागू करने पर तुला है। संगठनों का मानना है कि इसका असली मकसद बिजली वितरण को निजी फ्रेंचाइजी कंपनियों को सौंपना है, जिससे सरकारी नौकरियां खत्म होंगी और बिजली सेवाएं कमजोर पड़ेंगी।
कई जनपदों में पदों को समाप्त करने की तैयारी
समिति के अनुसार भदोही, मिर्जापुर, आजमगढ़, मऊ और फतेहपुर के अतिरिक्त अब सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव और हरदोई जिलों में भी वर्टिकल पुनर्गठन कर पदों को खत्म करने की योजना बनाई जा रही है। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि पावर कॉर्पोरेशन का प्रबंधन निजीकरण की ओर बढ़ते हुए प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को गंभीर संकट में डाल रहा है।
तीन हजार से ज्यादा कर्मचारियों को हटाया गया
संगठन द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी से 417, कुशीनगर से 450, बस्ती से 453, गोरखपुर से 326, भदोही से 429, सोनभद्र से 535, प्रयागराज से 526 और कौशांबी से 569 संविदा कर्मचारियों को सेवा से मुक्त कर दिया गया है। कुल मिलाकर करीब 3705 अनुबंध कर्मियों की नौकरी जाने से उनमें तीव्र आक्रोश है और वे आंदोलन को और तेज करने की रणनीति बना रहे हैं।
380 दिनों से जारी है विरोध प्रदर्शन
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में चल रहा आंदोलन 380वें दिन भी जारी रहा। सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों ने जमकर प्रदर्शन किया और छंटनी रोकने, एस्मा कानून वापस लेने तथा निजीकरण की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग को दोहराया।

उत्तर प्रदेश
थाना उरुवा में डीआईजी का आकस्मिक निरीक्षण, अभिलेखों के रखरखाव और साफ-सफाई सुधारने के निर्देश
डीआईजी एस.एस. चन्नप्पा ने थाना उरुवा का अचानक निरीक्षण किया। अभिलेखों, महिला हेल्प डेस्क, साइबर डेस्क और मिशन शक्ति केंद्र को और बेहतर रखने के निर्देश दिए।
गोरखपुर: शनिवार को डीआईजी रेंज गोरखपुर एस.एस. चन्नप्पा ने थाना उरुवा पहुंचकर आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने थाना परिसर की कार्यप्रणाली, अभिलेखों के रखरखाव और विभिन्न डेस्कों के संचालन की बारीकी से समीक्षा की।
डीआईजी ने सबसे पहले थाना कार्यालय में प्रचलित अभिलेखों का अवलोकन किया। उन्होंने अभिलेखों के रखरखाव को संतोषजनक बताते हुए कहा कि सभी रिकॉर्ड और अधिक सुव्यवस्थित व अपडेटेड स्थिति में होने चाहिए। उन्होंने साफ निर्देश दिया कि महत्वपूर्ण दस्तावेजों को समय-समय पर अपडेट किया जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो।
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निरीक्षण के दौरान डीआईजी ने महिला हेल्प डेस्क व साइबर हेल्प डेस्क की व्यवस्था की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि इन दोनों डेस्कों का संचालन पूरी संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई के साथ होना चाहिए, ताकि पीड़ितों को समय पर उचित सहायता मिल सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि मामलों की कार्यवाही समयबद्ध हो और पीड़ितों की समस्याओं का शीघ्र निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।
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इसी क्रम में डीआईजी ने नवगठित मिशन शक्ति केंद्र का भी निरीक्षण किया। उन्होंने केंद्र में सुरक्षा व्यवस्था, उपलब्ध सुविधाओं और साफ-सफाई की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने साफ निर्देश दिया कि मिशन शक्ति केंद्र महिलाओं की सुरक्षा और सहायता के लिए एक सशक्त मंच बने, इसके लिए सभी प्रावधान बेहतर ढंग से संचालित किए जाएं।
निरीक्षण के बाद डीआईजी ने थाना परिसर की समग्र साफ-सफाई पर भी संतोष जताया और जरूरत के अनुसार सुधार करने के सुझाव दिए।
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जनहित में महत्वपूर्ण सूचना
अगर आपको किसी भी प्रकार की अपराधिक गतिविधि, उत्पीड़न, साइबर फ्रॉड या आपात स्थिति की जानकारी मिलती है, तो बिना देर किए उत्तर प्रदेश पुलिस को अवश्य सूचित करें।
आपकी सूचना किसी बड़ी घटना को रोक अथवा बड़ी मदद बन सकती है।
📞 UP Police Helpline: 112
📞 महिला हेल्पलाइन: 1090
📞 साइबर फ्रॉड रिपोर्ट: 1930
उत्तर प्रदेश
गोरखपुर में सामूहिक विवाह कार्यक्रम में थप्पड़ कांड से मचा बवाल, यूट्यूबर-संगीतकार और आयोजकों के बीच विवाद
गोरखपुर के खजनी में सामूहिक विवाह समारोह के दौरान यूट्यूबर और लोकगायक संजय यादव को मंच पर थप्पड़ मारने के बाद विवाद भड़क गया। सोशल मीडिया से शुरू हुआ झगड़ा सड़क पर पहुंचा, पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एक पक्ष के युवक को गिरफ्तार किया और दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया।
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में सामूहिक विवाह समारोह के दौरान शुरू हुआ मामूली झगड़ा अब सोशल मीडिया और सड़क दोनों जगहों पर गरम चर्चा का विषय बन गया है। खजनी क्षेत्र में 2 नवंबर को हुए सामूहिक विवाह कार्यक्रम इस कार्यक्रम में लोकगायक और यूट्यूबर संजय यादव को आयोजक दुर्गेश मदन यादव द्वारा मंच पर थप्पड़ मारने की घटना ने विवाद को तूल दे दिया।
सोशल मीडिया पर भड़का विवाद
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, समारोह के दौरान मंच पर किसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हो गई, जिसके बाद आयोजक ने संजय यादव को थप्पड़ मार दिया और मंच से नीचे उतार दिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही समर्थकों में नाराज़गी फैल गई। दोनों पक्षों के लोगों ने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को धमकियां और खुली चुनौतियां देना शुरू कर दिया।
सड़क पर पहुंचा मामला
सोमवार शाम को यह विवाद तब और भड़क गया जब यशपाल यादव और उनके समर्थक बुलेट, बाइक और चार पहिया वाहनों के काफिले के साथ खजनी थाना क्षेत्र के डोहरिया गांव अंडरपास के पास पहुंचे। वहां युवकों ने ईंट-पत्थर, लाठी-डंडे और हाकी लेकर शक्ति प्रदर्शन किया। स्थिति बिगड़ने से पहले ही स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
सूचना मिलते ही खजनी थाना प्रभारी अनूप सिंह, उपनिरीक्षक रामदयाल यादव और बांसगांव पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। पुलिस को देखकर भीड़ में भगदड़ मच गई और कई युवक वाहन लेकर फरार हो गए। हालांकि, पुलिस ने मौके से यशपाल यादव को गिरफ्तार कर लिया, जबकि प्रियांशु यादव सफारी गाड़ी सहित मौके से भागने में सफल रहा।
पुरानी रंजिश भी बनी वजह
गांववालों के अनुसार, यह विवाद सिर्फ थप्पड़ की घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों पक्षों के बीच पुरानी जमीन और वर्चस्व की रंजिश से जुड़ा हुआ मामला है।
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गोरखपुर: नाबालिग के साथ दुष्कर्म पर दोषी को 20 साल की कठोर सजा, अदालत ने लगाया ₹39,000 जुर्माना
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ एफआईआर संख्या 0435/2025 दर्ज कर ली है। इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 191(2), 351(3), 352 और दंडविधि संशोधन अधिनियम 2013 की धारा 7 के तहत कार्रवाई की गई है।
थाना प्रभारी अनूप सिंह ने बताया, “कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। किसी को भी माहौल खराब करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।”
यह खबर “गोरखपुर सामूहिक विवाह विवाद” की पूरी घटना को कवर करती है — जिसमें यूट्यूबर को थप्पड़ मारने से शुरू हुआ मामला सोशल मीडिया होते हुए सड़क तक पहुंच गया। पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार किया और दोनों पक्षों पर केस दर्ज कर दिया।
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अपराध
गोरखपुर: नाबालिग के साथ दुष्कर्म पर दोषी को 20 साल की कठोर सजा, अदालत ने लगाया ₹39,000 जुर्माना
गोरखपुर: नाबालिगों के प्रति होने वाले अपराधों में त्वरित और कठोर न्याय की दिशा में गोरखपुर कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है। एक विशेष अदालत ने दुष्कर्म के एक जघन्य मामले में अभियुक्त को 20 साल के सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई है। इस ऐतिहासिक फैसले के वक्त कोर्टरूम में सन्नाटा छा गया और सज़ा की घोषणा होते ही आरोपी जज के सामने फूट-फूटकर रोने लगा।
अदालत का यह सख्त रुख यह स्पष्ट करता है कि बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा सर्वोपरि है। यह महत्वपूर्ण फैसला पुलिस महानिदेशक (DGP) के निर्देश पर चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ अभियान की प्रभावी सफलता को भी दर्शाता है।
2022 की घटना: सहजनवां क्षेत्र में जघन्य अपराध
यह मामला साल 2022 का है। गोरखपुर के सहजनवां थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया था। पीड़िता के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया।
सहजनवां पुलिस ने अभियुक्त आकाश चौरसिया पुत्र राजकुमार चौरसिया (निवासी मटियारी) के खिलाफ तत्काल मुकदमा संख्या 311/2022 दर्ज किया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस टीम ने फौरन जांच शुरू कर दी।
इन धाराओं में हुई थी कार्रवाई: इस गंभीर मामले में अभियुक्त के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 363, 366, 377, 504, 506 के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) की धारा 5/6 के तहत कड़ी कार्रवाई की गई थी।
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विशेष कोर्ट का त्वरित फैसला
मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय SPL/ASJ/POCSO-2, गोरखपुर में हुई। अभियोजन पक्ष ने मजबूत साक्ष्य और गवाह पेश किए, जिसे अदालत ने पूरी तरह से स्वीकार किया।
कोर्ट ने आकाश चौरसिया को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी मानते हुए 20 वर्ष की कठोर जेल की सज़ा और ₹39,000 का आर्थिक दंड (जुर्माना) लगाया। न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में साफ कहा कि ऐसे अपराध समाज और कानून के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध हैं, और दोषी किसी भी तरह की रियायत का हकदार नहीं है।
न्यायिक प्रक्रिया में दिखाई गई यह तेज़ी ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ की रणनीति का परिणाम है, जिसके तहत पुलिस जांच और कोर्ट में पैरवी को मजबूत किया जाता है, ताकि गंभीर अपराधों में पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके। यह फैसला उन सभी अपराधियों के लिए एक सख्त चेतावनी है, जो मासूमों की इज़्ज़त से खिलवाड़ करते हैं।
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उत्तर प्रदेश
कौशांबी में पुलिस एक्शन: बिना हेलमेट पुलिसकर्मी का भी चालान, DM-SP बोले – “कानून सबके लिए बराबर”
कौशांबी: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में नवंबर महीने की शुरुआत के साथ ही सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक जागरूकता माह की औपचारिक शुरुआत हो गई है। जिले में पहले ही दिन पुलिस प्रशासन एक्शन मोड में नजर आया। सड़कों पर बिना हेलमेट और यातायात नियमों की अनदेखी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की गई।
मंझनपुर चौराहे पर चेकिंग अभियान के दौरान एक पुलिसकर्मी का भी बिना हेलमेट बाइक चलाते हुए चालान काटा गया। पुलिसकर्मी को 500 रुपये का जुर्माना भरना पड़ा। इस कार्रवाई के बाद जिले के पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने कहा कि “कानून और नियम सबके लिए समान हैं। यदि पुलिसकर्मी नियम तोड़ेंगे, तो उन पर भी वैसी ही कार्रवाई होगी जैसी आम नागरिकों पर होती है।”
जिले के डीएम अमित पाल शर्मा और एसपी राजेश कुमार ने संयुक्त रूप से ट्रैफिक माह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्कूली बच्चों, आम नागरिकों और अधिकारियों को सड़क सुरक्षा के नियमों के प्रति जागरूक किया गया और सभी को यातायात नियमों का पालन करने की शपथ दिलाई गई।
डीएम ने कहा कि “वाहन चलाते समय सावधानी और नियमों का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। थोड़ी सी लापरवाही न केवल चालक के लिए बल्कि दूसरों के लिए भी खतरा बन सकती है। सड़क हादसे कम करने के लिए हमें जिम्मेदार नागरिक बनना होगा।”
एसपी राजेश कुमार ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ चालान काटना नहीं, बल्कि अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने अपील की कि दोपहिया वाहन चलाते समय हमेशा हेलमेट पहनें, चारपहिया चलाते समय सीट बेल्ट लगाएं और नशे की हालत में वाहन न चलाएं।
पुलिस विभाग ने पूरे नवंबर माह को ट्रैफिक जागरूकता माह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस दौरान जिलेभर में जगह-जगह जागरूकता अभियान, परेड, सड़क सुरक्षा रैली, और स्कूल कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि नियम तोड़ने वालों पर पूरे महीने सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
इस अभियान से एक साफ संदेश गया है — कि सड़क सुरक्षा किसी विकल्प नहीं बल्कि जिम्मेदारी है, और कानून सबके लिए समान है, चाहे आम नागरिक हों या वर्दी में तैनात पुलिसकर्मी।
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उत्तर प्रदेश
लखनऊ डी.एल.एड. परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश, एक आरोपी गिरफ्तार | UP STF News
लखनऊ: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सोमवार को डीईएलएड सेमेस्टर परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह पर बड़ी कार्रवाई की है। टीम ने चंदौली जिले के आदित्य नारायण राजकीय इंटर कॉलेज, चकिया से अभिषेक यादव नाम के आरोपी को दबोचा है।
गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उसके पास से एक मोबाइल फोन और परीक्षा से जुड़ा प्रश्नपत्र भी जब्त किया है।
गिरफ्तार युवक की पहचान अभिषेक यादव पुत्र नन्दलाल यादव, निवासी दिवाकरपुर पौरा, थाना सकलडीहा, जनपद चंदौली के रूप में हुई।
एसटीएफ को सूचना मिली थी कि डीईएलएड सेमेस्टर-3 परीक्षा के दौरान कुछ लोग नकल कराने में जुटे हैं।
इस पर एसटीएफ फील्ड इकाई वाराणसी की टीम, जो पुलिस उपाधीक्षक शैलेश प्रताप सिंह के पर्यवेक्षण में और निरीक्षक अमित श्रीवास्तव के नेतृत्व में कार्य कर रही थी, ने तुरंत छापेमारी कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
कैसे लीक होता था पेपर
पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए। अभिषेक यादव खुद डीईएलएड का छात्र है और उसकी पहचान एक व्यक्ति अरुण से हुई थी।
अरुण हर परीक्षा से करीब आधे घंटे पहले ही व्हाट्सएप के जरिए पेपर भेज देता था।
अभिषेक ने 22 परीक्षार्थियों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था, जिसमें वह पेपर शेयर करता था।
प्रत्येक छात्र से वह ₹2000 वसूलता था, जिसमें से ₹10,000 अरुण को भेज देता था और बाकी रकम खुद रख लेता था।
इस तरह वह छात्रों को परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र मुहैया कराकर नकल कराने का काम करता था।
मामला दर्ज, मुख्य आरोपी की तलाश जारी
एसटीएफ ने आरोपी के खिलाफ थाना चकिया, जनपद चंदौली में संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
अब पुलिस फरार मुख्य आरोपी अरुण और अन्य सहयोगियों की तलाश में जुटी है।
एसटीएफ अधिकारियों ने कहा है कि परीक्षा में पारदर्शिता और नकलमुक्त माहौल बनाए रखने के लिए इस तरह के नेटवर्क पर लगातार सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
📌 निष्कर्ष:
एसटीएफ की इस कार्रवाई से साफ है कि सरकार परीक्षा प्रणाली में सुधार और नकल माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। चंदौली की यह कार्रवाई पूरे प्रदेश में परीक्षा सुरक्षा के लिए एक मजबूत संदेश है।
उत्तर प्रदेश
आयुष्मान कार्ड का महा-घोटाला! NHA और UIDAI पोर्टल में ‘सेंधमारी’ का पर्दाफाश, 5000 रुपये में बन रहे फर्जी कार्ड!
लखनऊ: सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं पर मंडराया संकट! नैशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) और आधार (UIDAI) के महत्वपूर्ण पोर्टलों में सेंधमारी करके फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने का एक बड़ा रैकेट सामने आया है। इस गंभीर आशंका के बाद, स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रेहेंसिव हेल्थ ऐंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (SACHIS) ने तुरंत विभागीय जाँच शुरू कर दी है।
जाँच के रेडार पर कौन?
- अस्पताल: यूपी के उन अस्पतालों की सूचियां तैयार हो रही हैं जहाँ पिछले कुछ महीनों में आयुष्मान कार्ड के जरिए भर्ती मरीजों की संख्या में असामान्य वृद्धि हुई है।
- क्षेत्र: सूत्रों के अनुसार, बरेली समेत वेस्ट यूपी और पूर्वांचल के कई अस्पताल जाँच के दायरे में हैं।
- संदिग्ध लोग: इस फर्जीवाड़े में NHA और आधार के काम-काज की बारीकियां जानने वाले लोगों की मिलीभगत की आशंका है, यहाँ तक कि उनके कार्यालयों से जुड़े कुछ लोग भी सवालों के घेरे में हैं।
ऐसे चल रहा है ‘खेल’ – 1000 से 5000 रुपये में डील!
- शुरुआती जाँच में खुलासा हुआ है कि लखनऊ समेत कई जिलों के सरकारी और निजी अस्पतालों में यह फर्जीवाड़ा धड़ल्ले से चल रहा है।
- आम लोगों को एक हजार से पाँच हजार रुपये का लालच देकर फर्जी आधार कार्ड बनवाने का झांसा दिया जाता है।
- इसके बाद, NHA और आधार के पोर्टल में सेंधमारी करके फर्जी आयुष्मान कार्ड जारी करवाए जाते हैं।
- मुख्य कार्यपालक अधिकारी (SACHIS) अर्चना वर्मा के अनुसार, फर्जी कार्ड के जरिए इलाज करवाने वाले और इलाज करने वाले अस्पताल दोनों ही अब जाँच के दायरे में हैं।
रैकेट का तरीका:
- टारगेट फिक्सिंग: रैकेट का एक गुट ऐसे मरीजों को चिह्नित करता है जिनका फर्जी कार्ड बनाकर ‘वसूली’ की जा सके।
- कार्ड जनरेशन: दूसरा गुट NHA के पोर्टल में लॉगिन कर फर्जी आयुष्मान कार्ड जारी करवाता है।
- भुगतान वसूली: अंत में, फर्जी कार्ड के आधार पर मरीज दिखाकर अस्पतालों के लिए सरकारी फंड से भुगतान करवा लिया जाता है।
जून में हुआ था 10 करोड़ का फर्जी भुगतान!
यह पहली घटना नहीं है! इसी साल जून में, यूपी के 39 अस्पतालों में 6,239 मरीजों के इलाज के नाम पर 9.94 करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जी भुगतान हुआ था। उस समय, फर्जीवाड़े में उच्च अधिकारियों की यूजर आईडी (जैसे CEO, लेखाधिकारी) का इस्तेमाल किया गया था। इस नए खुलासे की शुरुआत तब हुई जब आयुष्मान कार्ड बनाने वाले कर्मचारियों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर OTP नहीं आने की शिकायत सामने आई।
‘तार’ कई राज्यों में फैले!
SACHIS सूत्रों की मानें तो, इस फर्जीवाड़े के तार अंतरराज्यीय हैं! चाहे जून का करोड़ों का घोटाला हो या अब NHA/आधार में सेंधमारी, दोनों मामलों में इस्तेमाल किए गए IP अड्रेस की जाँच से पता चला है कि ज्यादातर कनेक्शन राजस्थान, कर्नाटक और दक्षिण भारत के राज्यों से जुड़े थे।
SACHIS ने उठाया बड़ा कदम:
- फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद SACHIS ने NHA, साइबर सेल और लखनऊ स्थित आधार (UIDAI) के क्षेत्रीय कार्यालय को तुरंत सूचना भेजी है।
- एक तत्काल और निर्णायक कदम उठाते हुए, आयुष्मान कार्ड बनाने व भुगतान के लिए कहीं से भी (बाहर से) लॉगिन करने की सुविधा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है।
- अब केवल SACHIS के अधिकृत दफ्तर से ही लॉगिन किया जा सकेगा।
दर्शकों से अपील: इस गंभीर धोखाधड़ी से बचने के लिए, आम जनता को किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को आधार या अन्य गोपनीय जानकारी नहीं देनी चाहिए और आयुष्मान कार्ड केवल सरकारी या अधिकृत केंद्रों से ही बनवाना चाहिए।
हम इस पूरे घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। क्या आप इस फर्जीवाड़े के कानूनी पहलुओं या NHA द्वारा उठाए जा रहे आगे के कदमों के बारे में जानना चाहेंगे?
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