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आस्था

धुरियापार का धवलेश्वरनाथ मंदिर: रामायण काल से जुड़ी आस्था, इतिहास और रहस्यों का संगम

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गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, 04 जुलाई 2025

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित एक छोटा सा गांव – धुरियापार – अपने भीतर इतिहास, धर्म और रहस्य की ऐसी गाथाएं समेटे हुए है, जिसे जानकर कोई भी चौंक जाएगा। यह केवल एक गांव नहीं, बल्कि साढ़े तीन हजार वर्षों की विरासत को संभाले खड़ा एक जीवित इतिहास है।

सन् 1980-81 में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में यह सामने आया कि यह क्षेत्र 3,500 साल से भी अधिक पुराना है। इतिहासकारों के अनुसार यह नगर छह बार उजड़ा और सातवीं बार फिर से बसाया गया। राजा धुर्य चंद द्वारा बसाए गए इस गांव का नाम भी उन्हीं के नाम पर पड़ा – धुरियापार

🕉️ धवलेश्वरनाथ मंदिर और श्रीराम की कथा

धुरियापार का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है बाबा धवलेश्वरनाथ महादेव का मंदिर
यह मान्यता है कि भगवान श्रीराम जब जनकपुर से अयोध्या लौट रहे थे, तो उन्होंने यहीं शिवलिंग की स्थापना की थी। आज यह मंदिर न सिर्फ श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि इससे जुड़ी घटनाएं इसे रहस्यमय और चमत्कारी स्थल भी बनाती हैं।

इस मंदिर की एक अनोखी बात यह भी है कि जब भी भक्त जल चढ़ाते हैं, तो जल की धार हमेशा सूर्य की दिशा में गिरती है, चाहे सूर्य उत्तरायण में हों या दक्षिणायन में। यह अद्भुत दृश्य हर श्रद्धालु के मन में आस्था के साथ कौतूहल भी भर देता है।

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🧭 जब अंग्रेज भूगर्भशास्त्री को मिला खजाने का सुराग

ब्रिटिश काल के दौरान मंदिर के पास नील की कोठी नामक स्थान पर एक अंग्रेज उच्चाधिकारी का आवास था। उसका मित्र, एक भूगर्भशास्त्री, मंदिर की वास्तुकला और ऊर्जा से इतना प्रभावित हुआ कि उसने मंदिर के नीचे खजाना छिपा होने का दावा किया।

उसने मंदिर के नीचे की खुदाई करवाई और खजाने को पाने के लालच में मंदिर को विस्फोट से उड़ाने की कोशिश की
लेकिन कहते हैं —
शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ।

बल्कि इस कृत्य में लगे मजदूर मारे गए, और पास बहती नदी खून से लाल हो गई।
उसी दिन वह भूगर्भशास्त्री पागल हो गया, और अंततः नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।

🔮 अन्य मान्यताएं और मंदिर की मर्यादा

यह भी माना जाता है कि इस शिवलिंग पर छत्र नहीं लगाया जा सकता
मंदिर की परंपरा के अनुसार, यहां केवल वही पुजारी सेवा कर सकता है, जो धन संग्रह ना करे।
यह मंदिर भक्ति का प्रतीक है, लालच से मुक्त पवित्र स्थान।

🏰 राजा धुर्य चंद के वंशज कहां गए?

एक बड़ा सवाल यह भी उठता है —
राजा धुर्य चंद और नूर चंद के वंशज आज कहां हैं?
किस परिस्थिति में उनका अस्तित्व समाप्त हो गया, इसका कोई प्रमाण नहीं है।
यह प्रश्न आज भी धुरियापार के इतिहास में एक रहस्य बना हुआ है।

🚩 अब तीर्थस्थल बनने की उम्मीद

आज जब राम जानकी मार्ग बन रहा है, जो अयोध्या से जनकपुर तक जाएगा,
तो क्षेत्रीय जनता को उम्मीद है कि बाबा धवलेश्वरनाथ मंदिर भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनेगा।

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स्थानीय लोग चाहते हैं कि इस मंदिर को राष्ट्रीय तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाए,
जहां श्रद्धा के साथ-साथ इतिहास, परंपरा और चमत्कार की कहानी दुनिया के सामने आए।

महंत श्री रामदास दुर्वासा 50 वर्षों से अपना जीवन इस मंदिर के लिए दिए हैं साथ में अपनी पुश्तैनी जमीन को बेच कर इस मंदिर के लिए जमीन भी खरीदी है इस मंदिर पर यहां के लोगों का बहुत ही योगदान भी रहा है।

🛕 धुरियापार का बाबा धवलेश्वरनाथ मंदिर ना सिर्फ एक धार्मिक स्थल है,
बल्कि यह भारत की उस विरासत का हिस्सा है,
जहां आस्था, इतिहास और चमत्कार – तीनों एक साथ जीते हैं।

जय धवलेश्वरनाथ!
जय सियाराम!

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आस्था

नाग पंचमी पर श्रद्धा और आस्था का पर्व: सुख-समृद्धि की कामना के साथ नाग देवता को अर्पित हुआ श्रद्धा-सुमन

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गोरखपुर, 29 जुलाई 2025
सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर आज पूरे देश में श्रद्धा, भक्ति और परंपरा के साथ नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं ने नाग देवता को दूध, पुष्प व कच्चा दूध अर्पित कर पूजा-अर्चना की। शिव मंदिरों में भजन-कीर्तन और विशेष रुद्राभिषेक का आयोजन हुआ।

शास्त्रों के अनुसार, नाग भगवान शिव के गले का आभूषण माने जाते हैं। ऐसे में इस दिन शिव की विशेष पूजा का भी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।

घरों में महिलाओं ने आंगन और द्वार पर सांप की आकृति बनाकर आरती उतारी और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

इस नाग पंचमी पर शिव योग और रवि योग का विशेष संयोग भी बना, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है। लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं भेजकर पर्व की खुशी साझा कर रहे हैं।

“नाग देवता की कृपा से जीवन में बना रहे सुख, शांति और समृद्धि – नाग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।”

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आस्था

मनसा देवी मंदिर में भगदड़: करंट की अफवाह से मची अफरातफरी, 6 श्रद्धालुओं की मौत, 36 घायल

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हरिद्वार, 27 जुलाई 2025

सावन और रविवार के संयोग पर भारी भीड़ उमड़ी हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में, जहाँ भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 36 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसे की वजह मंदिर परिसर में “करंट फैलने की अफवाह” बताई जा रही है, जिसे स्थानीय प्रशासन और चश्मदीदों ने गलत बताया है।

हादसे के वक्त क्या हुआ ?

सुबह के समय मंदिर के सीढ़ी मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ बेहद ज्यादा थी। इसी दौरान बिजली के पोल से चिंगारी निकली, जिससे लोगों में यह अफवाह फैल गई कि करंट आ गया है। अफरा-तफरी में लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे, जिससे भगदड़ मच गई।

चश्मदीदों का बयान दिया है जिसमे स्थानीय दुकानदार अवधेश ने बताया कि करंट की कोई घटना नहीं हुई, बल्कि एक बुजुर्ग महिला के गिरने के बाद भगदड़ शुरू हुई। प्रशासन ने आने-जाने का मार्ग एक ही रखा था, जिससे रास्ता पूरी तरह भर गया और पैदल चलने तक की जगह नहीं थी।

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क्या प्रशासन की चूक है ?

भीड़ नियंत्रण में विफलता सामने आई है। सावन और रविवार को भीड़ की संभावना के बावजूद भीड़ प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। कांवड़ यात्रा के समय अपनाया गया एक-तरफा आवागमन इस बार लागू नहीं किया गया।

Image Source : PTI, मनसा देवी मंदिर में भगदड़

मुख्यमंत्री का दौरा व मुआवजा:

घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हरिद्वार पहुंचे। उन्होंने घायलों से मुलाकात कर स्वास्थ्य व्यवस्था की समीक्षा की और मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए।

सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹ 2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता राशि देने की घोषणा की है। साथ ही, पीड़ितों को उनके गृह नगर तक पहुंचाने की व्यवस्था भी सरकार करेगी।

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अखिलेश यादव ने इस घटना के बारे कहा है कि

 “हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ में श्रद्धालुओं की मौत का मामला बेहद हृदयविदारक है और चिंतनीय भी।”

“भाजपा सरकार में महाकुंभ से लेकर रथयात्रा हो या अन्य कोई आयोजन सब जगह ऐसी घटनाओं का दोहराव ये बताता है कि भाजपा प्रचार तो वैश्विक स्तर का करती है लेकिन प्रबंधन स्थानीय स्तर का भी नहीं करती, इसीलिए आम श्रद्धालुओं को अपना जीवन गंवाना पड़ता है। इस मामले की भी गहन जाँच हो और श्रद्धालुओं की मृत्यु का कारण और सही आँकड़ा बताया जाए।”

निष्कर्ष: मनसा देवी मंदिर की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना भीड़ नियंत्रण की विफलता और अफवाहों के दुष्प्रभाव की चेतावनी है। सरकार द्वारा राहत कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन इससे भविष्य के लिए भीड़ प्रबंधन की ठोस रणनीति की आवश्यकता स्पष्ट हो गई है।

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अपराध

गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर विशेष

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पूर्वांचल भारत न्यूज़

जीवन परिचय

गोस्वामी तुलसीदास जी हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे,
तुलसीदासजी का जन्म संवत 1589 को उत्तर प्रदेश (वर्तमान बाँदा ज़िला) के राजापुर नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। इनका विवाह दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली से हुआ था। अपनी पत्नी रत्नावली से अत्याधिक प्रेम के कारण तुलसी को रत्नावली की फटकार “लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ” सुननी पड़ी जिससे इनका जीवन ही परिवर्तित हो गया। पत्नी के उपदेश से तुलसी के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया। इनके गुरु बाबा नरहरिदास थे, जिन्होंने इन्हें दीक्षा दी। इनका अधिकाँश जीवन चित्रकूट, काशी तथा अयोध्या में बीता।

तुलसीदास जी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। तुलसी भ्रमण करते रहे और इस प्रकार समाज की तत्कालीन स्थिति से इनका सीधा संपर्क हुआ। इसी दीर्घकालीन अनुभव और अध्ययन का परिणाम तुलसी की अमूल्य कृतियां हैं, जो उस समय के भारतीय समाज के लिए तो उन्नायक सिद्ध हुई ही, आज भी जीवन को मर्यादित करने के लिए उतनी ही उपयोगी हैं। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें रामचरित मानस, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, गीतावली, जानकीमंगल, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय है

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आस्था

गोरखपुर में मेंढक-मेंढकी की हुई शादी, लोग बोले-अब होगी झमाझम बारिश

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पूर्वांचल भारत न्यूज़

गोरखपुर जिले में बारिश न होने के कारण परेशान लोग तरह- तरह के टोटके अपना रहे हैं।बारिश के लिए कोई हवन-पूजन कर रहा तो कोई कीचड़ से लोगों को नहला रहा। इसी क्रम में गोरखपुर जिले में मेंढक-मेंढकी की शादी का टोटका अपनाया गया है। यहां बारिश के लिए कालीबाड़ी मंदिर में पूरे रिति-रिवाज के साथ मेंढक- मेंढकी की शादी कराई गई।
यह शादी हिंदू महासंघ की ओर से मंगलवार को शहर के कालीबाड़ी मंदिर में आयोजित की गई थी। यहां मेंढक-मेंढकी की सांकेतिक शादी कराई गई। इस दौरान वहां देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई।

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आस्था

सभी देश वासियों को “बुद्ध पूर्णिमा” की हार्दिक बधाई

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पूर्वांचल भारत न्यूज़

सभी देश वासियों को “बुद्ध पूर्णिमा” की हार्दिक बधाई

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अन्य

इस होली पर आप रंगो के साथ
अपने प्यार का रंग भी बिखेरिये।
आपको ये दुनिया ओर भी रंगीन और खूबसूरत नजर आएगी। होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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पूर्वांचल भारत न्यूज़

अगर आप भी अपने चाहने वाले को होली पर विश करना चाहते हैं तो पूर्वांचल भारत न्यूज के माध्यम से जरूर संपर्क करें:
Mob- 7380905886, 9621213588
#PurvanchalBharatNews #HappyHoli2022

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आस्था

वेब सीरीज तांडव पर भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने कसा तंज, कहा देवी देवताओं पर अभद्र टिपणी गलत

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वाराणसी:
सैफ अली खान अभिनीत वेब सीरीज तांडव पर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को जौनपुर पहुंचे भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार पवन सिंह ने भी इस पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि वेब सीरीज में हिंदू देवताओं के संबंध में अभद्र टिप्पणी व चित्रण सरासर गलत है। शिव व श्रीराम पर हुई टिप्पणी की जितनी निंदा की जाए कम है। फिल्में समाज का आइना होती हैं और संदेश देने का काम करती हैं। 

पवन सिंह ने वी प्रांजल फिल्म क्रिएशन के बैनर तले बन रही फिल्म ‘मेरा भारत महान’ के मुहूर्त के अवसर पर यह बातें कही।

भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने मेरा भारत महान फ़िल्म के बारे में बताते हुए कहा कि ये फिल्म बढ़ते अपराध व सामाजिक बुराइयों पर कुठाराघात कर स्वस्थ समाज की तस्वीर को उभारने में अहम होगी। प्रोड्यूसर सत्यजीत राय ने अतिथियों का अभिनंदन किया। संचालन सलमान शेख ने किया।

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