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इस होली पर आप रंगो के साथPublished
4 years agoon
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admin
लॉकडाउन के दौरान कोर्ट के आदेश पर कैदियों को पैरोल पर रिहा करना उत्तर प्रदेश सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गया। इसकी मुख्य वजह ये है कि रिहा हुए 1 हजार से ज्यादा कैदी अपने घरों से गायब हो गए हैं। जिनको ढूंढने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं। लेकिन उनका कही कोई पता नही चल पा रहा हैं। जिसके चलते सरकार ने अब गिरफ्तारी अभियान चलाने का फैसला लिया हैं।
ये है पूरा मामला
आपको बता दे कि कोरोना काल में जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों को हाई कोर्ट ने परोल पर छोड़े जाने के निर्देश दिए गए थे. इसके चलते उत्तर प्रदेश की उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा जारी संस्तुतियों कुल 2256 सजायाफ्ता बन्दियों को प्रदेश की जेलों से 8 सप्ताह की विशेष परोल पर रिहा किए जाने की संस्तुति की गई थी।
बाद में 8-8 सप्ताह के लिए इस विशेष परोल को तीन बार बढ़ाया गया. अब कोरोना का असर कम होने और काफी वक्त बीत जाने के बाद 19 नवंबर को रिहा किये गए बंदियों को 3 दिन के अंदर कारागार में दाखिल होने का निर्देश दिया गया था, जिसके अनुपालन में वर्तमान में परोल पर रिहा हुए सिद्धदोष बंदियों को फिर से जेल में दाखिल कराया जा रहा हैं।
ये है कैदियों का पूरा आंकड़ा
रिहा किए गए कुल 2256 बन्दियों में से परोल के दौरान 4 की मौत हो गयी. इनमें से 136 की अंतिम रूप से रिहाई हो गयी और 56 अन्य वाद में जेल में निरुद्ध हैं। 193 को छोड़कर शेष 2063 बन्दियों को पुनः जेल में दाखिल होना था, जिसमें से परोल पर रिहा हुए कुल 693 बन्दी विभिन्न जेलों में वापस आ चुके हैं।
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