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सीएम के होम डिट्रिक्ट में सिस्टम की लापरवाही से समस्याओं का निस्तारण सिर्फ कागजों मेंPublished
4 years agoon
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admin
गोरखपुर:
पंचायत चुनावों को ले शासन-प्रशासन अभी तैयारी में जुटा हुआ है।अभी तय तिथि की घोषणा नहीं हो पाई है।माना जा रहा है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव शासन मार्च माह तक कराएगा।लेकिन प्रधानों के खातों पर रोक के बाद ही पंचायत चुनाव के लिए बिसात बिछनी शुरू हो गयी है। पंचायत चुनाव के संभावित प्रत्याशी अभी से मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने को लेकर रिझाने लगे हैं।
गोरखपुर सहित पुर्वांचल के सभी जनपदों में अभी से गली-मोहल्लों में चुनावी चर्चाएं आम हैं।
निवर्तमान प्राधान व पूर्व प्रधान जहां समीकरण अपने पक्ष में बैठाने की जुगत में हैं वहीं कुछ नए चेहरे भी चुनावी मैदान में ताल ठोकने को तैयार हैं।जिससे कइयों की गुना-गणित बिगड़ सकती है।
गावों ,कस्बो व चौक-चौराहों पर सुबह शाम राजनीतिक चर्चा जोर पकड़ती जा रही है।माहौल इस कदर है कि यदि किसी के घर कोई बीमार पड़ जा रहा है तो उसे अस्पताल पहुंचाने के साथ ही आर्थिक मदद सम्भावित प्रत्याशी करते देखे जा सकते हैं।
जातीय समीकरण के आधार पर कुछ सम्भावित प्रत्याशी वोट काटने वाले प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की चाल चल सकते हैं।
सम्भावित प्रत्याशी फिलहाल प्रचार के लिए शोसल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। अपनी गतिविधियों के साथ ही किसी की मदद कर फोटो डालना या बधाई संदेश देना अब जोर पकड़ चुका है।
कइयों के गड़बड़ा सकता है चुनावी गणित-
प्रधान बनने की ख्वाहिश पाले कई सम्भावित प्रत्याशियों के गुना-गणित आरक्षण पर टिका हुआ है।मनमुताबिक आरक्षण की सीट न आने पर इनके प्रधान बनने की ख्वाहिश को बट्टा लगने के आसार हैं।नव युवकों ने जब से पंचायत चुनाव में दावेदारी करने का ताल ठोंका है तबसे कई ग्राम पंचायतों के धुरंधर राजनीतिज्ञों की चिंताएं बढ़ गयी हैं।
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