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सीएम के होम डिट्रिक्ट में सिस्टम की लापरवाही से समस्याओं का निस्तारण सिर्फ कागजों मेंPublished
4 years agoon
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admin
नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार आने वाले वित्त वर्ष में ऑफिस व काम करने के सिफ्ट 12 घंटे करने का विचार कर रही हैं। इसके साथ और भी बहुत कुछ बदलाव देखने को मिलेगा। जैसे पीएफ, रिटायरमेंट के नियम । यहां तक कि कंपिनयों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी। इसकी वजह है पिछले साल संसद में पास किए गए तीन मजदूरी संहिता विधेयक (कोड ऑन वेजेज बिल)। इन विधेयकों के इस साल 1 अप्रैल से लागू होने की संभावना है। वेज (मजदूरी) की नई परिभाषा के तहत भत्ते कुल सैलेरी के अधिकतम 50 फीसदी होंगे। इसका मतलब है कि मूल वेतन (सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता) अप्रैल से कुल वेतन का 50 फीसदी या अधिक होना चाहिए। गौरतलब है कि देश के 73 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं। सरकार का दावा है कि नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
और हाथ में आने वाली सैलरी को कम किया जाएगा पीएफ का पैसा बढ़ेगा जिससे आने वाले रिटायरमेंट के समय सुखमय जीवन व्यतीत होगा। क्योंकि सरकार की मंशा है कि देश ने covid-19 के वजह से आर्थिक नुकसान झेला है। और जीडीपी माईनस 23% नीचे जा चुकी है । इसी को ध्यान में रखते हुए काम करने की शिफ्ट में बदलाव देखने को मिल सकता है। जिससे देश में विदेशी कंपनियों को देश इनवेस्टमेंट में आसानी होगी। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। काम को 12 घंटे करने के लिए सरकार ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है। जिसमे नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है। ओएसच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है। ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है। कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का विश्राम देने के निर्देश भी ड्राफ्ट नियमों में शामिल हैं।
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