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गश्त पर निकला दारोगा हुआ फरार, अब पुलिस करेगी गिरफ्तार

गोरखपुर।
भ्रष्टाचार के आरोप में फरार दारोगा को डेढ़ महीने बाद भी गोरखपुर की गोला पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। जिस दिन दरोगा के खिलाफ उसके थाने में एफआईआर दर्ज की गई उसी दिन वह जीडी पर रवानगी कर क्षेत्र में भ्रमण पर निकला , लेकिन उसके बाद लौटा नहीं। अभी तक थाने की जीडी में उसकी रवानगी ही दर्ज है। भ्रष्टाचार के आरोपित दारोगा की गिरफ्तारी न होने पर गोला पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस का दावा है कि वह दारोगा की तलाश कर रही है।
गाजीपुर के थाना मरदह के गोविंदपुर गांव का रहने वाला विवेक चतुर्वेदी गोरखपुर के गोला थाने में बतौर सब इंस्पेक्टर तैनात रहा । विवेक चतुर्वेदी ने मुकदमा दर्ज करने के बदले पीड़ित महिला से 25 हजार रुपये की डिमांड की थी। महिला ने दस हजार रुपये कहीं से इंतजाम कर दिए तथा पांच हजार रुपये और देने की बात कही। हालांकि इस दौरान उसने रुपये के लेन-देन की बातचीत का ऑडियो भी बना लिया। यह ऑडियो तब सामने आया जब महिला को पता चला कि जिस पक्ष पर वह केस दर्ज कराना चाहती है उस पक्ष की तरफ से उसके परिवार पर छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
जांच में सही मिले थे आरोप-
दारोगा ने दूसरे पक्ष की लड़की की तरफ से घर में घुसकर मारपीट और छेड़खानी की धारा में केस दर्ज किया थे । महिला ने एसएसपी से दारोगा की शिकायत की। एसएसपी ने सीओ गोला श्यामदेव विंद को जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया था। जांच में महिला के आरोप सही पाए गए। इसके बाद जिस थाने में दारोगा विवेक चतुर्वेदी तैनात था उसी थाने में 23 दिसम्बर 2020 में उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की धारा में एफआईआर दर्ज हुई थी। हालांकि तब से अब तक पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
सीओ गोला कर रहे हैं विवेचना-
2018 बैच के दारोगा विवेक चतुर्वेदी मई महीने में गोला थाने में तैनात हुआ । थाने के हल्का नंबर चार की इंचार्जी उसे दी गई थी। 21 दिसंबर को वह 20 दिन की छुट्टी से वापस लौटा था। जब उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ तब वह जीडी के मुताबिक क्षेत्र में गश्त पर निकला था। मुकदमे की जानकारी के बाद गिरफ्तार होने की डर से वह थाने पर नहीं लौटा और क्षेत्र से ही फरार हो गया। थाने की जीडी में अभी भी वह क्षेत्र में गश्त ही कर रहा है और अभी तक उसकी वापसी नहीं हुई है।सब इंस्पेक्टर विवेक चुर्तेवदी की तलाश में गाजीपुर स्थित उसके घर व अन्य ठिकानों पर दो बार पुलिस दबिश डाल चुकी है। गोरखपुर में रहने वाले ठिकानों पर भी पुलिस गई थी लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। यदि जल्द ही वह सरेंडर नहीं करता है तो उसके खिलाफ कोर्ट से 82-83 का आदेश लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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भारतीय संविधान के शिल्पकार, महान दलित, पिछड़े वर्ग के चिन्तक, एवं समाज सुधारक बाबा भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन

पूर्वांचल भारत न्यूज़
प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती (Babasaheb Bhimrao Ambedkar’s birth anniversary) के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन को पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष तौर पर अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पिछड़ी जाति के लोगों के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है।
बाबा साहेब अम्बेडकर जी का वास्तविक नाम भीमराव रामजी आम्बेडकर है। अपनी कड़ी मेहनत और सिद्धांतों के माध्यम से एक गरीब अछुते बच्चे से भारत सरकार में कई प्रमुख पदों पर पहुंचे। बाबा साहेब पिछड़े वर्ग के अस्पृश्यता और उत्थान से लड़ने वाली प्रमुख हस्तियों में से एक थे। वह संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। बाबा साहेब ने कई पुस्तकें भी लिखी जैसे ‘जाति का विनाश’, ‘शूद्र कौन थे’, ‘बुद्ध और उनका धम्म’ उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियां हैं।
आईये आज हम भारत के संविधान के जनक बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के जीवन से परिचित होते हैं।
उनके जीवन की कुछ प्रमुख घटनाएं आपको हम क्रम से बताते हैं-
1- भारत के प्रथम कानूनमंत्री डॉ. आम्बेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के ‘महू’ नगर में हुआ था।
2-इनका जन्म 14 अप्रैल 1891 में एक सैन्य छावनी मे दलित परिवार में हुआ था।
3- इनके पिता रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश भारतीय सेना के सुबेदार थें।
4- माता भीमाबाई के 14 संतानों में ये सबसे छोटे थें।
5- उस समय बाबा साहेब अछूत वर्ग से मैट्रिक पूरा करने वाले पहले व्यक्ति थें।
6- ये कोलंबिया विश्वविद्यालय एवं लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों से डॉक्टरेट किए थें।
7- अपने जीवनभर इन्होंने अछूतों की समानता के लिए संघर्ष किया।
8- बाबा साहेब आम्बेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है।
9- 1990 में इन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
10- मधुमेह बीमारी से पीड़ित बाबा साहेब का 6 दिसंबर 1956 को निधन हो गया।
आइये जानते हैं बाबा साहब के बारे कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें-
1- डॉ भीमराव के जन्मदिवस को अम्बेडकर जयंती के रूप मे मनाया जाता है।
2- बाबा साहेब आंबेडकर ने भारत के संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
3- बी. आर. आंबेडकर को उनके अनुयायी बाबा साहेब कहकर पुकारते थें।
4- बाबा साहेब एक कुशल अर्थशास्त्री, विधिवेत्ता, सफल राजनीतिज्ञ तथा महान समाज सुधारक थें।
5- विदेश से अर्थशास्त्र मे डॉक्टरेट करने वाले बाबा साहेब प्रथम भारतीय थें।
6- डॉ आम्बेडकर कुल 64 विषयों के मास्टर तथा 9 भाषाओं अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, गुजराती, हिंदी, मराठी, संस्कृत, पाली और फारसी के जानकार थें।
7- 50000 पुस्तकों के संग्रह के साथ ‘राजगृह’ में बाबा साहेब का पुस्तकालय भारत का सबसे बड़ा नीजी पुस्तकालय है।
8- भारत मे महिला सशक्तिकरण की दिशा मे 1950 मे “हिन्दू कोड बिल” लाकर पहला प्रयास बाबा साहेब ने ही किया था।
9- 1950 में कोल्हापुर शहर मे बाबा साहेब की पहली प्रतिमा स्थापित की गई।
10- जीवन के अन्तिम समय मे बाबा साहेब हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म मे शामिल हो गए थें।
“सिम्बल ऑफ नॉलेज” कहे जाने वाले बाबा साहेब आम्बेडकर एक महान व्यक्ति थे। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया और समाज में जातिगत भेदभाव के खिलाफ जीवन पर्यन्त संघर्ष करते रहें। भारत के लिए उनके द्वारा किये गये योगदान को सदैव याद रखा जायेगा।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने समाज को हमेशा प्रेरणादायक विचार दिए है, जो लोगों को उनके कर्तव्य और ऊर्जा का एहसास दिलाते हैं। यह प्रेरणादायक विचार कुछ इस प्रकार से हैं…
“शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो।”
“जिंदगी लंबी होने की बजाय महान होनी चाहिए।”
“धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए।”
“बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।”
“वो लोग कभी इतिहास नहीं बना सकते, जो इतिहास को भूल जाते हैं।”
“मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाएं।”
“उदासीनता सबसे खराब तरह की बीमारी है, जो लोगों को प्रभावित कर सकती है।”
“अगर मुझे लगता है कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो मैं सबसे पहले इसे जलाऊंगा।”
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इस होली पर आप रंगो के साथ
अपने प्यार का रंग भी बिखेरिये।
आपको ये दुनिया ओर भी रंगीन और खूबसूरत नजर आएगी। होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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सात समुंदर पार बेटे के इंतजार में तीन दिन से पड़ी पिता की लाश का हुआ अंतिम संस्कार

यूपी के देवरिया में एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसे सुन कर हर कोई हैरान है। हो भी क्यों नहीं मामला ही कुछ येसा है। जहा अपनो की याद में हर कोई क्या से क्या नहीं करता। अगर रिश्ता खून का हो तो और बढ़ जाता है। उत्तर प्रदेश के देवरिया में कुछ इसी तरह का मामला देखने को मिला। जहा सात समुंदर पार डेनमार्क में नौकरी कर रहे इकलौते बेटे के इंतजार में पिता का पार्थिव शरीर दरवाजे पर तीन दिन तक पड़ा रहा। और फिर भी नहीं आ सका। शुक्रवार को जब उसके आने की उम्मीद धूमिल हो गई, तो मृतक के छोटे भाई ने यानी लड़के के चाचा ने बेटे होने का फर्ज अदा किया।
नौ फरवरी को मृत्यु की तिथि से तीन दिन बाद पूर्व सभासद राधेश्याम पांडेय को उनके छोटे भाई ने बरूथनी नदी के तट पर शुक्रवार को मुखाग्नि दी। मृतक के इकलौते बेटे के पिता के अंतिम संस्कार में आने की तमाम कोशिशों के बाद नहीं पहुंच पाने का सबको मलाल है। पूर्व सभासद का हृदय गति रुकने से बीते मंगलवार की रात निधन हो गया था। उनका बेटा विशाल पांडेय यूरोप के डेनमार्क में नौकरी कर रहा है।
पिता के निधन की सूचना मिलते ही वह सात संमुदर पार डेनमार्क से अंतिम संस्कार में शामिल होने को चल दिया। डेनमार्क से भारत पहुंचने में हवाई जहाज की तीन जगहों पर को लैंडिग होती है। डेनमार्क से पहली को-लैंडिंग में विमान में सवार यात्रियों की लंदन एयरपोर्ट पर जांच हुई।
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