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"लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ" का नारा देने वाली प्रियंका वाड्रा की पहली लड़ाई और विजय की कहानी - Purvanchal Bharat News
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इतिहास के झरोखों से

“लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” का नारा देने वाली प्रियंका वाड्रा की पहली लड़ाई और विजय की कहानी

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पूर्वांचल भारत न्यूज़

साभार #SR जर्नलिस्ट की WAL से

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जब ये खबर आयी कि प्रियंका मुरादाबाद के किसी ठठेरे से बियाह करेंगी तो मुल्क वाकई एक बार सन्न रह गया था। ठठेरा UP की एक बिरादरी होती है जो पुराने जमाने में बर्तन इत्यादि बनाया करते थे।
उनका असली नाम Robert बढ़ेड़ा था। बढ़ेड़ा पंजाब के खत्री होते हैं।
उनके पिता का नाम श्री राजेंद्र बढ़ेड़ा था। राजेंद्र जी का जन्म अखंड भारत के मुल्तान में हुआ था। जब 1947 में देश का विभाजन हुआ तो उनका परिवार मुरादाबाद चला आया।
राजेंद्र जी बाढ़ेड़ा का विवाह Maureen McDonah नामक Scottish मूल की एक ब्रिटिश महिला से हुआ। ये विवाह कब कैसे किन परिस्थितियों में हुआ इसके बारे में बहुत ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।
बहरहाल राजेंद्र भाई बाढ़ेड़ा की Maureen से 3 संतानें हुई।
Robert , Richard और एक लड़की Michell .
राजेंद्र जी का मुरादाबाद में brass metal यानी पीतल के बर्तनों और कलात्मक वस्तुओं का निर्यात का छोटा मोटा व्यवसाय था। परिवार के हालात बहुत अच्छे न थे और Maureen दिल्ली के एक play school में पढ़ाती थीं। न जाने किन अज्ञात सूत्रों संबंधों के कारण उनके बच्चों का दाखिला दिल्ली के British School में हो गया जिसमें उस समय देश के प्रधान मंत्री की बेटी प्रियंका पढ़ती थी।
13 साल की प्रियंका और Michell क्लास मेट थीं और मिशेल ने ही रोबर्ट की दोस्ती प्रियंका से कराई।
स्कूल और स्कूल के बाहर भी प्रियांका सुरक्षा कर्मियों से घिरी रहती थीं।
शाही परिवार के बच्चों के चूँकि बहुत कम दोस्त थे लिहाजा मिशेल और robert दोनों 10 जनपथ आने जाने लगे। धीरे धीरे Robert की दोस्ती राहुल से भी हो गयी।
सोनिया निश्चिन्त थीं कि प्रियंका की सहेली मिशेल और राहुल के दोस्त Robert हैं।
पहली बार सोनिया के सिर पे बम तब फूटा जब एक दिन प्रियंका एक अनाथ आश्रम के बच्चों की सेवा के बहाने घर से निकली और अपनी माँ को बिना बताए Robert के घर मुरादाबाद पहुँच गयी। इधर दिल्ली में चिहाड़ मची। वापस लौटी तो पूछ ताछ हुई। IB ने सोनिया को खबर दी कि आपकी बेटी Robert से इश्क़ लड़ा रही है। जब सोनिया ने मना किया तो प्रियंका ने बगावत कर दी। और अपनी माँ से दो टूक कह दिया कि वो Robert से शादी करने जा रही हैं।
इस खबर से congress में हड़कंम्प मच गया।
राजनैतिक जमात में इसे ख़ुदकुशी करार दिया गया।
प्रियंका को उंच नीच समझाने की जिम्म्मेवारी अहमद पटेल , जनार्दन द्विवेदी और मोतीलाल वोरा को दी गयी। इन सबने प्रियंका को उनके उज्जवल राजनैतिक भविष्य की दुहाई देते हुए समझाया कि किस तरह Robert एक Mr Nobody हैं , एक mismatch हैं और आगे चल के एक liability बन जाएंगे।
पर ये कम्बख़त इश्क़ …….जब दिल आ जाए ????? पर तो परी क्या चीज़ है।
इधर प्रियंका अड़ गयी उधर सोनिया टस से मस न होती थीं।
इसके अलावा राजेंद्र बाढ़ेड़ा के परिवार की IB report भी माकूल न थी।
परिवार पुराना संघी था।
राजेंद्र जी का परिवार लंबे अरसे से , मने पाकिस्तान बनने से पहले से ही संघ के सक्रिय सदस्य था।
इनके परिवार ने मुरादाबाद शहर की अपनी जमीन सरस्वती शिशु मंदिर के लिए दान कर दी थी और राजेंद्र जी के बड़े भाई श्री उस शिशु मंदिर के आज भी ट्रस्टी हैं।
ऐसे में एक पुराने जनसंघी परिवार में गांधी परिवार के चश्मे चिराग का रिश्ता हो जाए , ये कांग्रेस की लीडरशिप को मंजूर न था। ऐसे में Maureen McDonagh ने न जाने ऐसी कौन सी गोटी चली और अपने ब्रिटिश मूल के Roman Catholic इतिहास का क्या पव्वा लगाया कि अचानक सोनिया गांधी मान गयी। वैसे बताया ये भी जाता है कि उन दिनों भी congress leadership ये जान चुकी थी कि राहुल गांधी में बचपना हैं। थोड़ा बहुत चांस इस प्रियंकवा से लिया जा सकता है बशर्ते कि इसकी शादी किसी हिन्दू लीडर के परिवार में करा दी जाए। पर होइहैं वही जो राम रचि राखा।
शादी इस शर्त पे तय हुई कि राजेंद्र बाढ़ेड़ा का परिवार गांधी परिवार से किसी किस्म का मेलजोल रिश्तेदारी नहीं रखेगा और इनकी political powers का लाभ उठाने का कोई प्रयास नहीं करेगा।
अंततः Feb 1997 में प्रियंका गांधी की शादी robert बाढ़ेड़ा से हो गयी।
सोनिया गांधी को इस बाढ़ेड़ा surname से बहुत चिढ थी। और ये नाम इन्हें politically भी suit न करता था सो सबसे पहले इन ने इसे बदल के बाढ़ेड़ा से Vadra किया । यूँ भी ये परिवार नाम बदल के देश दुनिया को बेवक़ूफ़ बनाने में बहुत माहिर है।
बहरहाल प्रियंका की शादी मुरादाबाद के ठठेरे से हो गयी। इस बीच Vadra परिवार को ये सख्त हिदायत थी कि वो लोग कभी 10 जनपथ में पैर नहीं रखेंगे। अलबत्ता वक़्त ज़रूरत पे प्रियंका गांधी अपनी ससुराल हो आती थीं।
पर रोबर्ट ” वाड्रा ” को अपने परिवार से तआल्लुक़ रखने की इजाज़त न थी।
गौर तलाब है कि प्रियंका से Robert की मुलाक़ात Michell ने कराई थी।
पर अब उसी Michell का प्रवेश भी गांधी household में वर्जित हो गया था।
फिर एक दिन Michell की एक car दुर्घटना में संदिग्ध हालात में मृत्यु हो गयी , जब कि वो दिल्ली से जयपुर जा रही थीं।
उसके चंद दिनों बाद ही एक और अजीब घटना घटी।दिल्ली के एक वकील अरुण भारद्वाज ने दिल्ली के दो अख़बारों में Robert Vadraa के हवाले से ये इश्तहार दिया कि मेरे मुवक्किल श्री Robert Vadra का अपने पिता श्री राजेंद्र vadra , और भाई Richard Vadra से कोई सम्बन्ध नहीं है।
यहां तक तो ठीक था। इसके बाद दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय से AICC के letter pad पे देश के सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों, प्रदेश कांग्रेस कमेटी एवं कांग्रेस legislative पार्टियों को सोनिया गांधी की तरफ से एक पत्र भेजा गया जिसमें सभी को ये स्पष्ट निर्देश था कि मुरादाबाद के हमारे समधी और प्रियंका जी के जेठ जी की किसी सिफारिश पे कोई अमल न किया जाए और उन्हें किसी प्रकार के लाभ न पहुंचाए जाएं। वो बात दीगर है कि आगे चल के इन्हें कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और भूपेंद्र हुड्डा के राज में मुरादाबादी ठठेरा देखते देखते ख़ाकपति से अरब पति व्यवसायी बन गया।
इस घटना क्रम के कुछ ही महीनों बाद अपनी प्रियंका दीदी के जेठ जी , यानी अपने रोबर्ट जीजू के बड़े भाई Richard भाई ने पंखे से लटक के आत्महत्या कर ली।
प्रियंका दीदी के ससुर जी , यानी रोबर्ट जीजू के पिता जी , श्री राजेंद्र भाई वाड्रा, जिनसे की robert vadra जीजू ने बाकायदा affidevit दे के संबंध विच्छेद कर लिया था , यानि कि बेटे ने बाप को बेदखल कर दिया था , वो राजेंद्र भाई गुमनामी और मुफलिसी में दिन काटने लगे।
उनको लिवर सिरोसिस हो गया। उनका इलाज दिल्ली के सरकारी अस्पताल सफ़दर जंग हॉस्पिटल के जनरल वार्ड में हुआ। कुछ दिन बाद राजेंद्र वाड्रा सफदरजंग अस्पताल से डिस्चार्ज ले , दिल्ली में ही AIIMS के नज़दीक एक सस्ते से lodge के एक कमरे में पंखे से लटकते पाये गए। उनकी जेब में सरकारी अस्पतालों की दवाई का एक पुर्जा और 10 रु का एक नोट पाया गया।
सोनिया गांधी की दिल्ली में पुलिस ने अच्छा किया कि postmortem न कराया वरना पेट में भूख और मुफलिसी के अलावा कुछ न मिलता।
यूँ बताया जाता है कि जब पुलिस राजेंद्र वाड्रा की लाश उस lodge से ले जाने लगी तो उसके मालिक ने अपना 3 दिन का बकाया किराया सिर्फ इसलिए मुआफ़ कर दिया कि मरहूम शख्स अपनी प्रियंका दीदी का ससुर था।
उसी शाम दिल्ली के एक श्मशान में राजेंद्र वाड्रा का अंतिम संस्कार कर दिया गया जिसमें सिर्फ प्रियंका गांधी , सोनिया गांधी और राहुल बाबा शामिल हुए। शेष लोगों को सुरक्षा कारणों से अंदर नहीं आने दिया गया। Robert तो पहले ही बेदखल कर चुके थे.

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